Saturday, April 23, 2011

जो आदमी जीतना बड़ा धार्मिक होता है ......वो उतना ही खतरनाक होता है

धर्म और विज्ञान
http://mahavir-sanglikar.blogspot.com/2011/03/blog-post_31.html

कई लोग ऐसा सोचते है कि जैन धर्म मोस्ट सायंटिफिक धर्म है. उससे भी आगे जाकर वे कहते है की, विज्ञान को जो बातें पता नहीं वह जैन शास्त्रों में लिखी हुई हैं. आगे चलकर विज्ञान को जैन धर्म के आगे बौना साबीत कराने के लिए कहते है कि जैन धर्म अंतिम सत्य जानता है, लेकिन विज्ञान अधूरा है और वह बार बार अपने निष्कर्ष बदलता है.

ये लोग ऐसा सोचते है क्यों की उन्होंने मुनियों के मुख से यह बात बार बार सुनी है. मुनि के मुंह से निकला हुआ हर एक शब्द उनके लिए अंतिम सत्य होता है. चाहे वह मुनि अनपढ़ क्यों न हो. इस प्रकार के लोग खुद कभी किसी बात पर विचार नहीं करते, चिंतन नहीं करते.

मजे की बात यह है की दुसरे धर्म वाले भी अपने अपने धर्म को मोस्ट सायंटिफिक धर्म मानते है. वैदिक धर्म के लोग तो ऐस मानते है कि आज दुनिया मे जितने भी आविष्कार किये गये है, वे सब वेदों में पहले ही लिखे हुये थे. युरोपिअन लोगो ने वेदों को पढकर विमान, रेडियो, टी.वी. कंप्युटर, बिजली जैसी चीजे बनायी. ये मत पुछिये की यह वेद आपके पास पिछले हजारों सालों से थे, फिर आपने खुद यह चीजे क्यों नही बनवायी?

खैर, ये लोग विज्ञान या सायन्स क्या है इस बात को बिलकुल नहीं जानते. सायन्स और टेक्नोलोजी में फर्क है इस बात को भी नहीं जानते और टेक्नोलोजी को ही सायन्स मानते है. वास्तव में सायन्स या विज्ञान जिनिअस लोगो का विषय है, जबकि टेक्नोलोजी अप्लायड सायन्स है.

यह सच है कि जैन धर्म में विश्व और उसकी उत्पत्ती, फिजिक्स, काल, प्रगत गणित, मनोविज्ञान, आरोग्यविज्ञान, जीवविज्ञान जैसी बातों पर गहराई से चिंतन किया है. प्राचीन काल के जैन आचार्यो ने प्रगत गणित को बड़ा योगदान दिया है. लेकिन प्रगत गणित आज कल के जैन मुनियो को मालुम ही कहां है? ऐसी बातें आज कल के जैन मुनियों की समझ से परे है इसलिये वे केवल पानी छानकर पीने में ही विज्ञान देखते है. जैन धर्म ने इश्वर की सत्ता को नकारा है, लेकिन इस बारे में ये सायंटिफिक धर्म की बाते करनेवाले कुछ नही बोलते, उलटे समाज में इश्वरवाद, दैववाद फैलाते रहते हैं. महान, ज्ञानी समझे जानेवाले कई जैन मुनियों के मुंह से मैंने 'इश्वर की इच्छा के बिना दुनिया का पत्ता भी नहीं हिलता' ’ इश्वर उनकी आत्मा को शांती दे’ जैसे वाक्य सुने है.

बहरहाल, जैन धर्म में जो विज्ञान है वह प्राथमिक अवस्था का है और परिपूर्ण नहीं है. कई बातें गलत भी लिखी गयी है. आधुनिक विज्ञान उनको झूठा साबीत करता है. जैसे कि जैन धर्म ने धरती चपटी होने की बात की हैं जब कि विज्ञान ने पूरी तरह साबीत कर दिखाया है की वह गोल है. लेकिन शास्त्रों के अंध विश्वासी लोग आज भी यह कहते है की धरती चपटी है. ये मुर्ख लोग धरती की चक्कर लगाकर दुनिया भर में घूमेंगे, अपनी आखों से देखेंगे की धरती गोल है, फिर भी शास्त्रों की बात ही मानेंगे.

सायन्स के सभी लाभ लेकर ये धर्मवादी लोग सायन्स के खिलाफ बोलते हैं. यह तो कृतघ्नता हो गयी. उनका एक आरोप रहता है कि सायन्स दुनिया को तबाह कर देगा. उनको यह मालुम होना चाहिये की दुनिया के इतिहास में सब से ज्यादा तबाही, सबसे ज्यादा खून खराबा धर्मों के कारण हुआ है. धर्मवादी लोग कहते है कि सायन्स को अंतिम सत्य मालूम नही है, लेकिन धर्म को वह मालूम है. बात यह है कि सायन्स यानी कोई धर्म नहीं है कि जिसे अंतिम सत्य मालूम होने का झूठा दावा करने की जरुरत पड़े. सायन्स कभी दावा नहीं करता की उसे अंतिम सत्य मालूम हो गया है, लेकिन वह हमेशा सत्य के नजदीक ही होता है.

धर्मवादियों को यह भी याद रखना चाहिए विज्ञान अंधश्रद्धाए दूर करने का काम करता है, जब कि धर्म का मुख्य काम अंधश्रद्धाओ को बढ़ावा देना यही है. अब तो यह धर्मवादी लोग विज्ञान ने इजाद किये हुए टी. वी., इंटरनेट आदी का उपयोग अंधश्रद्धाए फैलाने के लिए कर रहे है.

दुनिया के लगभग सभी धर्म किसी विशेष जाती, वंश, देश, प्रदेश, भाषीय समूह आदि की बपौती बन गए है, सायन्स के साथ ऐसा कभी नहीं होगा. सायन्स सबके लिए खुला है, खुला रहेगा.

सायन्स बहोत आगे निकल चुका है. यह रेस जीतना धर्म के बस की बात नहीं है. धर्मवादियो की भलाई इसी में है की वे विज्ञान की महत्ता को बिना झिजक स्वीकार करे.


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